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Sloth Bear in Melghat

MELGHAT HINDI BLOG

This is Melghat Hindi Blog, If you want to read in English CLICK HERE.

दोस्तों बात मई 2019 की है, मेलघाट टाइगर रिज़र्व पिछले १० सालों से मेरे-दिलो दिमाग पर छाया हुआ है,और ना जाने कितनी बार में वहां जा चूका हूँ और हर बार मुझे सबकुछ नया सा लगता है। मेलघाट इंदौर से 275 KM की दुरी पर स्थित है और यहाँ लगभग हर तरह के जंगली जानवर पाए जाते हैं, लेकिन एक बात जो इसे बहोत ज़्यादा ख़ास बनती है वो यह है की यहाँ कुछ दुर्लभ प्रजाति के जानवर भी निवास करते हैं और पहाड़ी इलाका होने के कारन यहाँ की खूबसूरती देखते ही बनती है। पक्षी प्रेमियों के लिए तो यह जगह जन्नत है जन्नत!

मेलघाट में कहा रुके, कैसे जाएँ, बुकिंग कैसे करें, ये सभी जानकारी इस पोस्ट के आखिर में दी गई है।

Melghat Safari
Melghat Tiger Reserve

बाकी नेशनल पार्क की तरह यहां पर टाइगर आसानी से तो नहीं दीखता परन्तु जब दिखता है तो रोमांच की लहर पुरे दिलो दिमाग में दौड़ जाती है। बाकि जानवरों में यहाँ तेंदुआ और भालू बहुतायत में हैं और शाकाहारी जानवरों की लगभग सम्पूर्ण प्रजाति यहाँ मौजूद है। शर्मीले और चुस्त स्वभाव के जंगली कुत्ते (ढोल) भी यहाँ आसानी से देखे जा सकते हैं। ऐसा बोला जाता है की ढोल का झुण्ड किसी टाइगर को भी मार सकता है और अक्सर टाइगर या ढोल एक दूसरे के बच्चों को अपना निशाना बनाते रहते हैं।

Tiger of Melghat
Melghat Tiger Reserve

हमारी टीम ने दिनांक 10-मई-2019 को 3 दिवसीय जंगल भ्रमण का कार्यक्रम मेलघाट टाइगर रिज़र्व के शाहनूर रेंज में आयोजित किया जिसमे 10 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। भ्रमण के दौरान प्रतिभागियों को निम्नलिखित विषयों पर जानकारी दी गई :-

– जंगलों का महत्त्व एवं वर्तमान ज्वलंत मुद्दे 

– वन्य प्राणियों के स्वभाव एवं उनके मिजाज के बारे में जानकारी 

– खतरनाक प्राणियों के बारे में जानकारी एवं सावधानियां 

– रात्रिचर वन्यप्राणियों के बर्ताव एवं उनको सुरक्षित रूप से अवलोकन करने का तरीका 

– वन्यप्राणी संरक्षण के विभिन्न उपाय एवं मुद्दे 

– बाघ को उसके प्राकृतवास में खोजने और देखने के तरीके 

– बाघ को खोजने में सहायता करने वाले प्राणियों जैसे चीतल,सांभर,लंगूर,टिटहरी एवं भौंकने वाले मृग की आवाज़ पहचानना 

– भालू एवं तेंदुए के बर्ताव एवं उनके हमले से बचने के लिए सावधानियां

उपरोक्त बातों के अलावा सभी प्रतिभागी इस बात से भी अचंभित थे की मेलघाट के जंगलों में भौकने वाला मृग (barking deer) भी मिलता है जो की किसी कुत्ते की तरह भोंकता है और मज़ा तो तब आया जब सभी ने पहली बार उड़ने वाली गिलहरी (Flying Squirrel) को उड़ते हुए देखा। बच्चों का उत्साह तो तब देखने को मिला जब उन्होंने हरे रंग का कबूतर (हरियल) देखा और चारो तरफ इतने सारे रंग-बिरंगे पक्षियों की चहचहाहट ने उनको मंत्रमुग्ध कर दिया।

Yellow-footed green pigeon at Melghat

सुभह की शुरुवात elephant safari से होना थी। हम सभी हाथियों के आने का इंतज़ार कर रहे थे। मेलघाट में हाथियों को बाँध के नहीं रखा जाता, उन्हें शाम को जंगलों में छोड़ दिया जाता है और सुबह होते ही वापस बुला लिया जाता है। हम इंतज़ार कर ही रहे थे की इसी बिच सबसे बूढी हथनी (लक्ष्मी) जिसे 75 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त कर दिया गया है और जिसको वन विभाग बड़े ही प्यार से पाल रहा है वो जंगल से हमारी ओर आती दिखी और बाकि सारे हाथी उसके पीछे-पीछे लाइन से आ रहे थे| हाथियों के समाज में बड़ो का स्थान सबसे ऊँचा रहता है इसलिए सभी हाथी उसके पीछे ही चल रहे थे। उनके नज़दीक आने पर लक्ष्मी एक पेड़ के सहारे खड़ी हो गई और बाकि सभी हाथियों को उनके महावतों ने संभाल लिया।

जब सभी महावत दूसरे हाथियों को तैयार कर रहे थे तब हमारे दलनायक अंबुज जैन दल के सबसे छोटे प्रतिभागी शौर्यादित्य को लक्ष्मी से मिलवाने ले गए। छोटे बच्चे को अपने पास देखकर सबसे बूढी हथनी लक्ष्मी ने उसको हलके से दुलार लिया और फिर तो शौर्यादित्य का डर भी छूमंतर हो गया और वो लक्ष्मी को काफी देर तक सहलाता रहा। बड़ा ही प्यारा नज़ारा था। इसके बाद सभी प्रतिभागी हाथियों की पीठ पर बैठ कर जंगल की सैर को निकले।

Elephant Safari in Melghat

बाघ (टाइगर) की झलक : हाथी की सफारी के बाद अब वक़्त था खुली जिप्सी से जंगल घूमने का। अभी मुश्किल से कुछ ही मिनट हुए होंगे जंगल में घुसे और रस्ते में चलते चलते अचानक मुझे ऐसा लगा की खाई में कुछ है। मैंने जिप्सी वाले भैया को बोलै की जिप्सी रोक कर थोड़ा पीछे लीजिये मुझे लगता है मैंने टाइगर देखा है !!! हमने जिप्सी पीछे ली और मैंने ध्यान से देखा तो करीब 100 फ़ीट निचे खाई में एक हष्ट-पुष्ट नर बाघ पेड़ की छाव में सोया हुआ था। मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ अपनी आँखों पे, मैंने हमारे गाइड को दिखाया और उसने कहा “हो साहिब ये तो बाघ ही है”!!! अचानक से रोमांच की लहर सी दौड़ गयी और रोंगटे खड़े हो गए। 10 साल में पहली बार मैंने मेलघाट में बाघ देखा था। उसको देखने की उत्सुकता में सभी लोग पूछ रहे थे “कहाँ है-कहाँ है” और इसी शोर से बाघ की नींद खुल गई और जैसा की बोला जाता है मेलघाट के बाघ बहोत ही शर्मीले होते हैं, वो बाघ देखते ही देखते अचानक से घने वन में कही खो गया।

Melghat Gypsy Safari

प्रशिक्षण काम आया : जंगल सफारी शुरू होने से पहले ही पुरे दल को ज़रूरी अनुदेश और क्या करना क्या ना करना बता दिया गया था। रात्रि में खुली जिप्सी में घूमते वक़्त अचानक एक मादा भालू अपने शावक के साथ जिप्सी के सामने आ गई, जिप्सी में दल का नेतृत्व श्री के. पी. सिंह कर रहे थे और उनको सारे ज़रूरी अनुदेश याद थे| यहाँ यह बताना ज़रूरी है की भालू काफी खतरनाक होते हैं और मादा भालू जब अपने शावक के साथ होती है तो वो और भी ज़्यादा खतरनाक हो जाती है परन्तु के. पी. सिंह और सभी प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण के अनुसार ही व्यव्हार किया और मादा भालू अपने शावक के साथ सुरक्षित तरीके से अपनी राह पर निकल गई। जंगल में रात में घूमते हुए हमने कई सारे जानवर देखे |

Melghat Night Safari
Melghat Night Safari
Melghat Night Safari
Melghat Night Safari
Melghat Night Safari

अजीबोगरीब जानवरों का मिलना : रात में घूमते हुए हमने एशियाई पाम सिवेट (मूषक बिलाव) को देखा !!! दलनायक ने हमे बताया की “पाम सिवेट” एक अहानिकारक और शर्मीली प्रजाति के रात्रिचर प्राणी हैं जो की फलों और छोटे कीटो पर ज़िंदा रहते हैं। सबसे अजीब बात तो ये थी की दुनिया की सबसे महंगी कॉफ़ी पाम सिवेट के मल से बनायीं जाती है और जो की विदेशों में बहोत प्रसिद्द है। हमारा तो कॉफ़ी से ही मन उठ गया। 

Palm Civet Melghat Tiger Reserve

सर्प चील (serpent eagle) का दिखना : पहली बार हमने जाना की सरपेंट ईगल ऐसा पक्षी है जो सांपो को मार कर खाता है। 

Serpent Eagle at Melghat

इसी तरह दिन में सफारी करते वक़्त जिप्सी के सामने अचानक भारतीय गोर (Indian Gaur) जो की जंगली मवेशियों में एक सबसे बड़ी और भीमकाय प्रजाति है और जिसमे अकेले ही पूरी की पूरी जिप्सी कार को उलट देने की असीमित ताकत होती है वो सामने आ गया। सोचने समझने का कोई वक़्त नहीं था और भारतीय गौर हमारे सामने था परन्तु पूर्व में दिया गया प्रक्षिक्षण काम आया और सभी सकुशल वहां से निकल गए। इन सबमे ज़रूरी बात यह है की चूँकि आप जंगल में जंगली जानवरों के घर में आये हैं इसलिए आपको ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए जिससे उनको किसी भी तरह का मानसिक या शारीरिक तनाव हो। और सभी प्रतिभागियों ने ऐसा ही किया भी।

Melghat Safari
Encounter with Indian Gaur
Animal Encounter Indian Gaur

रोमांचक अनुभव : जंगल सफारी करते हुए हमे एक मचान पर ले जाया गया, हमे बताया गया की रोमांच के प्रेमियों के लिए मेलघाट में सारी रात घने जंगल में मचान पर बैठने का भी इंतेज़ाम है। यहाँ सारी रात मचान पर बैठ कर आप सभी तरह के जंगली जानवरों को चुपचाप देख सकते हैं जो सोच कर ही हम सभी रोमांचित हो गए। समय काम होने के कारन हम कुछ ही देर मचान का आनंद ले पाए पर अगली बार ज़रूर हम मचान पर बैठेंगे। 

Machaan Stay at Melghat

बच्चों के लिए वरदान : आज के समय में जब बुरी आदतें और असभ्यता पूरी तरह से अपने पैर पसार चुकी है, ऐसे वक़्त श्री के पी सिंह और श्री सुधीर विजयन अपने बच्चों को लेकर उन्हें किसी होटल या सिनेमा हॉल या फिर किसी और विलासिता भरी जगह ले जाने की जगह धुल और गर्मी से भरे इस विशाल जंगल में जीवन के कुछ ज़रूरी पाठ पढ़ाने के लिए ले आये। हमारा जीवन जंगल से है और जंगल ही हमें जीने का सही तरीका सिखाते हैं। मोबाइल, इंटरनेट, मूवीज, व्हाट्सप्प और इसी तरह के भौतिक संसाधनों और बुरी आदतों से दूर ये पिता अपने बच्चों को बचपन से ही प्रकृति माँ की गोद में डाल कर उनका चरित्र निर्माण कर रहे हैं| ये जानते हैं की अगर बच्चों को बचपन से ही प्रकृति से जोड़ दिया जाये तो उनमे बुरी आदतें नहीं पड़ती है। धन्य हैं ऐसे जनक जिन्होंने शुरू से ही अपने बच्चों में पर्यावरण संरक्षण की भावना जगा दी है और यही पुत्र आगे जाकर अपने माता-पिता का विश्व पटल पर नाम रोशन करेंगे।

Kids at Melghat
Birding at Melghat

इस पूरी यात्रा का सुखद अंत एक जंगली नदी में सभी ने गर्मी को दूर करते हुए खूब मस्ती करके किया । और हाँ, हमने बचपन में मिलने वाली बर्फ की कुल्फी का भी लुत्फ़ लिया !!!

Fun at Melghat Tiger Reserve
Fun at Melghat Tiger Reserve
Melghat Fun

How to reach :
By Road : Melghat is easily connected by road, based on zone you can either go from Akot or from Dharni.
By Train : Nearest Railway station to Melghat is Akot & Amravati.
By Flight : It is advisable to board to flight to Indore and than take road journey.

Where to stay :
There are enough options available for stay but if you are looking for plenty of wildlife than “Shahnoor” is best. Tiger sighting is frequent and stay is also awesome.
If you are planning for capturing natural beauty & bird photography, than “Kolkaz” is best.

Best time to visit :
March to June : Summer is on its peak but best time to observe wild animals.
July to September : Rainy season, natural beauty at its peak, best for observing natural beauty, waterfalls, trekking but not good for wildlife observation.
October to February : Winter season, best time for birding & landscape photography, you can observe wildlife in early morning time.

What to do :
Day Jungle Safari, Night Safari, Machaan (Tree House) Stay, Elephant Safari, Trekking, Waterfall Hiking, Kayaking & Relaxing.

Whom to Contact :
For more details, bookings & group tour plans you can contact at 8989463577 or write us at islpindore@gmail.com

Jain Ambuj

Ambuj is a renowned Human Resource Professional having more than 15 years of experience working with corporate giants like Reliance, Essar & Agarwal Group. His expertise in people management and execution makes him perfect fit. Apart from HR, Ambuj is an Survival Expert & Wildlife enthusiast. He has spent 15 years in exploring deepest part of Central India & organized more than 300 nature events for students, corporate & youths. He believes that Conservation Thru Eco Tourism is best and most acceptable way of protecting our Forest and Wildlife.

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Ambuj is a renowned Human Resource Professional having more than 15 years of experience working with corporate giants like Reliance, Essar & Agarwal Group. His expertise in people management and execution makes him perfect fit. Apart from HR, Ambuj is an Survival Expert & Wildlife enthusiast. He has spent 15 years in exploring deepest part of Central India & organized more than 300 nature events for students, corporate & youths. He believes that Conservation Thru Eco Tourism is best and most acceptable way of protecting our Forest and Wildlife.

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